जैन, अनुराधा
(2018)
क्यों कहें कहानियाँ.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 1 (1).
pp. 97-103.
Abstract
कहानी सुनने–सुनाने में बच्चों की रुचि होती है। यह एक ऐसा प्रकट और सर्व व्या पी तथ्य है
जि स से बच्चों का पालन–पोषण करने वाले अभि भावक भी अवगत होते हैं और उन्ह ें शिक्षि त
करने के प्रयासों में जुटे शिक्ष क भी। कहानी सुनना–सुनाना शिक्ष क और अभि भावक के जीवन
में आह्लाद के पल होते हैं। ज़रूरत है कि इस आह्लाद की वज़ हों को समझा जाए। कहानि याँ
हमें जीवन को समझने और उस का आस्वा द लेने में मदद करती हैं। कहानि याँ हमारे सामने
घटनाओं और चरि त्रों के बीच सम्बन्ध व्यव स्था को उद्घाट ित करती हैं। वह एक साथ मानवीय
कर्म के नैति क, संज्ञानात्मक और भावात्मक पहलुओं को उद्घाट ित करती हैं। अगर हम यह
समझना चाहते हैं कि कहानी सुनाने से कि न शैक्षि क उद्दे श्यों की पूर्ति होती है तो कहानी
के इस मर्म को समझना और उस पर नि रन्त र चर्चा करना हमारे लि ए ज़रूरी है। इस लेख
में अनुराधा ने कक्षा में कहानी सुनाने और उस पर कुछ गतिव िधि याँ करने के अपने अनुभवों
को लि खा है। लेख पाठक को कहानी के मर्म व शिक्षा के व्या पक उद्दे श्यों और इन दोनों के
बीच के गहरे सम्बन्ध ों पर चर्चा के लि ए आमंत्रि त करता है। सं.
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