पाण्डेय, मदन मोहन
(2019)
भाषा जो बच् चे घर से लेकर आते हैँ.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 1 (2).
pp. 78-81.
Abstract
सभी बच्चे अपने घर में बोली जाने वाली भाषा सहज रूप से सीख जाते हैं। यह घरेलू
भाषा ही होती है जो उनको अपने अनुभवों को नाम देने, उनको महसूस करने, उन्हें अभि व्यक्त
करने, उन्हें संशोधि त करने का ज़रि या बनती है और इस तरह अनुभवों को विस्ता र देने का
काम भी यही भाषा करती है। बच्चे इसी भाषा के साथ स्कूल में प्रवेश लेते हैं, लेकि न स्कूल
में न तो इस भाषा के लि ए जगह होती है और न ही बच्चे की इन योग्यताओं के लि ए जि न्हें
बच्चे ने अपनी इस घरेलू भाषा के मा ध्यम से अर्जि त कि या है। लेख बच्चों की अपनी भाषा
और उनके द्वारा इसमें अर्जि त भाषाई योग्यताओं के विभि न्न उदाहरण देते हुए कहता है कि
बच्चे की इन बुनि यादी भाषाई योग्यताओं,चा हे ये मौखिक ही क्यों न हों, इन्हें दरकि नार कर,
उन्हें भाषा सीखने–सिखा ने की बात करना उचि त नहीं है। सं.
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