मालवीय, मुकेश
(2019)
अण्डे की मापजोख अण्डे एक जैसे, पर थोड़े ऐसे – वैसे.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 1 (2).
pp. 93-99.
Abstract
बच्चे स्वभाव से जिज्ञा सु होते हैं और यह जिज्ञा सा उनके द्वारा पूछे जाने वाले और कभी
ख़त्म न होने वाले सवालों से प्रकट होती हैं। तरह–तरह की चीजों और घटनाओं के प्रति
बच्चों की यह स्वा भावि क उत्कण्ठा तभी बनी रह पाती हैं जब स्कूल और समाज इसे पोषि त
करने के लि ए उपयुक्त वातावरण और अवसर दे। प्रस्तु त लेख में इसी मसले को उठाया गया
है और यह बताने की कोशिश की गई है कि सवाल पूछने की इस नैसर्गि क व स्वा भावि क
प्रवृत्ति को कैसे तार्किक चि न्तन के रियाज़ से मजबूती मि लती है। लेख में इसकी बानगी,
विज्ञा न के एक सवाल, क्या मुर्गि यों के अण्डे वजन में बराबर होते हैं? को प्रयोगधर्मि ता के
ज़रिए सम्बोधि त करने के तौर–तरीकों में ज़ाहि र होती है| जि समें विज्ञा न के तमाम कौशल
और तर्कपूर्ण विच ारशीलता की वि कास प्रक्रिया समाई हुई है। सं.
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