आर्य, शचीन्द्र
(2019)
ग्रामीण परिप्रेक्ष्य में अध्यापक की निर् मिति.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 2 (3).
pp. 23-30.
Abstract
यह लेख इस मान्यता पर आधारित प्रत ीत होता है कि अध्यापक के रचना विन्यास या
गढ़न की प्रक् रिया इस बात पर निर्भर करत ी है कि उसके इर्दगिर्द परिस्थित ियाँ और परिवे श
कैसा है और उसके चयन की प्रक् रिया और अवसर क्या रहे हैं? और क्या ये परिस्थित ियाँ
उसे वांछित अध्यापक बनाने में कोई सक्रिय भूमि का निभात ी हैं?
शचीन्द्र अपने आलेख में एक निजी विद्यालय के अवलोकनों में अध्यापक के विद्यालय
और विद्यार्थियों के साथ के सम्बन्धों को टटोलते हुए इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि ग्रामीण
विद्यालय कि सी भी तर ह से परिवर्तन कार ी भूमि का में नहीं है। और निर्मिित की प्रक् रिया में
जो भी बि न्दु संघर्ष या विचलन के हो सकते हैं उन्हें भोथरा किया जा चुका है। इन सबके
बीच विद्यार् थी के खुद के रचना विन्यास के बारे में सोचने के कई सवा ल हैं। सं.
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