नाग, निशा
(2019)
‘इसी रटन्त विद्या का नाम शिक्षा रख छोड़ा है’ : प्रेमचंद.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 2 (3).
pp. 45-51.
Abstract
1934 में प्रकाशि त प्रेमचंद की कहानी ‘बड़े भाई साहब’ भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर तीखी
साहित ्यिक संक्षिप्त व्या ख्या प्रस्तु त करती है, जो आज 85 वर्ष बाद भी प्रासंगि क प्रतीत होती
है। रट न्त प्रणाली, उबाऊ शिक्षा , पढ़ाई का बोझ, परीक्षा प्रणाली और प्रति योगि ता के इर्दगिर्द
बुनी गई यह कहानी छोटे और बड़े भाई के पढ़ने–लि खने के तरीकों की जद्दो जहद के बीच
शिक्षा के कई गहरे सवाल उठाती है, जि समें पारम्परिक और नए वि चारों की शिक्षा का द्वंद्व
मुखरता से दि खाई देता है।
शिक्षा वि मर्श में इस तरह के लेखों का टोटा है जो साहित्य की खिड़ की से शिक्षा के
अहाते में झाँकने की कोशि श करते हों। नि शा नाग का यह लेख इस कमी को पूर ा करने की
पहल दि खाई देती है।
नि शा नाग ने ‘बड़े भाई साहब’ के उद्धरणों की व्या ख्या के माध्यम से आज के सन्दर्भ में
शिक्षा के मायने, मकसद और ज़रूरत को देखने की कोशि श की है। सं.
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