पालीवाल, रश्मि and त्यागी, आकाँक्षा
(2019)
आदिवासी अंचल में किशोर जीवन के मोड़ और स्कूल.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 2 (3).
pp. 52-60.
Abstract
समता मूलक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लि ए ज़रूरी है कि देश की शिक्षा नीतियाँ गहन
वि चार–वि मर्श और व्या पक दृष्टि कोण को ध्या न में रखकर बनाई जाएँ, यही वजह है कि
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 को अन्ति म रूप देने के लि ए इसका प्रारूप व्या पक वि चार–वि मर्श
और सुझावों के लि ए विभि न्न मंचों पर उपलब्ध कराया गया है।
रश्मि पालीवाल और आकाँक्षा त्या गी इस लेख में नई शिक्षा नीति के प्रारूप में दिए गए
प्रावधा न ‘‘वर्ष 2030 तक 3 से 18 वर्ष आयुवर्ग के सभी बच्चों के लि ए नि ःशु ल्क एवं अनि वार्य
गुणवत्तापूर्ण स्कूल की पहुँच एवं भागीदा री सुनि श्चित करना’’ को अमली जामा पहनाने की
सम्भा वनाओं की पड़ता ल करता है, खासकर आदिवासी बच्चों की शैक्षणि क, सामाजि क और
आर्थि क परिस्थित ियों के मद्दे नज़र। उनका सवाल यह भी हैं कि जब ‘नि ःशु ल्क एवं अनि वार्य
बाल शिक्षा के अधिकार अधिनि यम’ 2009 के कई अहम प्रावधा नों को अमल में लाने के लि ए
केन्द्र और राज्य सरकारों को पि छड़ना पड़ा है तो अब यह भरोसा कैसे बने कि 3 से 18 साल
की उम्र के बच्चों को अधिकार दे पाने में सरकारों की तैयारी वाक़ई में बन सकेगी?
लेख यह भी इंगित करता है कि नीतियाँ बनाने में एक स्थि र, सक्षम व मध्यमवर्गीय
परि वार की मान्यता काम करती नज़र आती हैं लेकि न यह आदिवासी अंचल की वास्तवि कता ओं
से बहुत दूर होती हैं। सं.
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