सिंह, गुरबचन
(2021)
सम्पादकीय.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 3 (8).
pp. 4-6.
ISSN 2582-4836
Abstract
2021 अप्रैल में फिर से देश में तालाबन्दी होगी, ऐसी कल्पना नहीं थी। मार्च में लगने लगा था कि
धीरे–धीरे स्कूल भी खुल पाएँगे, परन्तु दूसरी लहर के कारण पुनः लॉकडाउन हुआ और आगेका समय फिर
सेपूर्णतः अनिश्चित हो गया। बीतेसवा साल के लम्बे कोरोना काल ने स्वास्थ्य, रोज़गार, आजीविका और
शिक्षा जैसेपहलुओं को गहनता सेप्रभावित किया। इस पूरेदौर में स्कूल बन्द ही रहे। बच्चे मानो अपनेघरों
मेंलगभग बन्द सेहो गए। स्कूल बन्द हैंऔर दोस्तों सेमुलाक़ात एवं खेलना भी बन्द है। उनकी आज़ादी
पर तो पूरा अंकुश हैही, पर इसके साथ–साथ बहुत–सेबच्चों ने निकट सेइस बीमारी और इसके तनाव
को भी महसूस किया है। कईयों ने विस्थापन और विपन्नता के चलतेभूख का भी सामना किया है। इस दौर
मेंबचपन मानो सिमटकर रह गया है
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