पालीवाल, मीनू
(2021)
लेखन ग़लतियाँ और उनका विश्लेष.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 3 (8).
pp. 7-13.
ISSN 2582-4836
Abstract
यह लेख बच्चों को पढ़ना–लिखना सिखाने के सन्दर्भ में है। शिक्षकों से इस
विषय पर हुई बातचीत का हवाला देते हुए लेखिका बताती हैं कि आज भी कक्षा
में पढ़ना–लिखना सिखाने के दौरान ज़ोर समझ और विचार पर नहीं बल्कि शुद्धता
पर रहता है, अौर बच्चे के हर प्रयास में कुछ सही देखने की बजाय ग़लतियों पर
ही ध्यान जाता है। वे कहती हैं कि इस दृष्टिकोण को बदलना होगा। वे बच्चों के
साथ किए गए काम के उदाहरण लेकर दर्शाती हैं कि लिखना–पढ़ना सिखाने के
लिए किस तरह के तरीक़े मददगार हो सकते हैंऔर कैसे। वे यह भी कहती हैं
कि लिखना–पढ़ना सिखाने के पारम्परिक तरीक़ों को बिना सोचे–समझे अपनाने की
बजाय, उनको जाँच–परख कर, उनमें ज़रूरी बदलाव कर काम में लिया जाए तो
सीखने की सम्भावनाएँबढ़ सकती हैं। सं.
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