मालवीय, मुकेश
(2021)
घर जाने की पूरी छुट्ट.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 3 (8).
pp. 35-36.
ISSN 2582-4836
Abstract
स्कूल बन्द हुए कितने महीने निकल गए?
हमको स्कूल की बहुत याद आती है।
पहले किसी कारण से या बीमार हो जाने पर
जब हम स्कूल नहीं जा पाते तो अच्छा लगता
था कि आज स्कूल नहीं जाना है। लेकिन अब
स्कूल ही नहीं जाना है, यह सोचकर बहुत बुरा
लगता है। स्कूल में दोस्त होते हैं, टीचर होते
हैं और टाइम होता है। टाइम का पता घण्टी से
चलता है। हमारे बस्ते में किताब के अलावा भी
और चीज़ें होती हैं। किसके बस्ते में क्या है, यह
पक्के दोस्त को पता होता है। स्कूल में बहुत–सी
बातें हमें अपने दोस्तों से पता चलती हैं। स्कूल
में पढ़ाई होती है, इस पढ़ाई में कुछ बच्चे तेज़
होते हैं, कुछ नहीं होते। जो तेज़ नहीं होते, उन्हें
टीचर की डाँट पड़ती है। कई बार डाँट क्यों
पड़ रही है, पता नहीं चलता। इन सब बातों
की हमको बहुत याद आती है। इतने सारे दिन
निकल गए, हमारा स्कूल बन्द ही है।
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