शिक्षा और 'आदर्श' बच्चा : क्या 'बचपन' का सिर्फ़ एक ही मतलब हो सकता है ?

यूनुस, रेवा (2020) शिक्षा और 'आदर्श' बच्चा : क्या 'बचपन' का सिर्फ़ एक ही मतलब हो सकता है ? Paathshaala Bhitar aur Bahar, 2 (4). pp. 20-25.

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Abstract

भारतीय सन्दर्भ में बचपन की अवधारणा क्‍या है? “आदर्श” और “अनादर्श” बच्चा क्‍या है? शिक्षा के दायरे में बचपन और “आदर्श” बच्चे को देखने का नज़रिया है? क्या बचपन का सिर्फ़ एक ख़ास मतलब ही हो सकता है? जैसे सवालों पर यह लेख ग़ौर करता है। और शोध अध्ययनों के हवाले से कहता है कि बचपन कई प्रकार के होते हैं उनको समझना व सम्मान करना बहुत ज़रूरी है। लेख, ख़ासकर सामाजिक-आर्थिक शोषण की विविधतापूर्ण परिस्थितियों में पलने-बढ़ने वाले बचपन के लिए बेहतर शैक्षिक-सामाजिक परिस्थितियों में अच्छी शिक्षा की पैरवी करता है जिससे कि समाज में शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम किया जा सके। लेखिका ज़ोर देकर कहती हैं कि “अनादर्श” बच्चे नहीं हैं बल्कि राज्य और समाज हैं एवं “कमी” और “अपूर्णता” बच्चों और परिवारों में नहीं बल्कि संस्थाओं और व्यवस्थाओं में है।

Item Type: Articles in APF Magazines
Authors: यूनुस, रेवा
Document Language:
Language
Hindi
Uncontrolled Keywords: Elementary education, Childhood, Child labour, Schooling, Postcolonial India, Dalit, Adivasi children
Subjects: Social sciences > Education
Divisions: Azim Premji University > University Publications > Pathshala Bheetar Aur Bahar
Full Text Status: Public
URI: http://publications.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/2328
Publisher URL:

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